सूरजमुखी की फसल के लिए उन्नत कृषि विधियाँ (Sunflower Farming in Hindi)
सूरजमुखी किसानों के लिए बहुत ही मूल्यवान फसल मानी जाती हैं। सूरजमुखी की फसल से जुड़े विभिन्न प्रकार की महत्वपूर्ण जानकारियां जिसको जानकर आप सूरजमुखी के बहुत सारे फायदे से जागरूक हो जाएंगे। किसानों के अनुसार सूरजमुखी एक तिलहनी फसल है। किसानों का यह कहना है कि सूरजमुखी की फसल बेहतर मुनाफा देने वाली फसल है। जिसको आम भाषा में नकदी फसल भी कहा जाता है। प्राप्त की गई जानकारी के अनुसार सूरजमुखी की पहली खेती उत्तराखंड के पंतनगर में हुई थी जिसका समय लगभग 1969 था। किसान सूरजमुखी की खेती खरीफ, रबी और जायद इन तीनों मौसमों में करते हैं। आइये जानते हैं सूरजमुखी की फसल के लिए उन्नत कृषि विधियाँ । कुछ सालों के अनुमान से यह कहा जा सकता है, कि सूरजमुखी की खेती किसानों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण हो गई है। तथा किसान इसकी उत्पादन क्षमता में वृद्धि भी कर रहे हैं जिससे वह उचित मूल्य प्राप्त कर सकें।
सूरजमुखी की कटाई मई महीने के अंत में ऐसे करें
किसान के लिए सूरजमुखी की फसल बहुत ही फायदेमंद होती है। इसीलिए वह इसकी खास देखभाल करते हैं और इसकी कटाई पर भी विशेष रूप से ध्यान देते हैं। ताकि इस फसल को किसी भी तरह का कोई नुकसान ना हो, जिससे उनको आगे नुकसान सहना पड़े। किसान सूरजमुखी की बुवाई फरवरी के महीने से करना शुरू कर देते हैं ताकि मई के आखिरी महीने में वह इस की कटाई कर अच्छी फसल को प्राप्त कर सकें। यदि सूरजमुखी की बुवाई सही टाइम पर ना करें। तो भारी बारिश हो जाने के बाद पैदावार में काफी हद तक नुकसान भी हो सकता है। सूरजमुखी की फसल की कटाई मई के अंत में करना बहुत ही उचित होता है।ये भी पढ़े: सूरजमुखी खाद्व तेलों में आत्मनिर्भरता वाली फसल
सूरजमुखी के लिए जलवायु और भूमि
सूरजमुखी की खेती के लिए अच्छी जलवायु और भूमि की बहुत ही आवश्यकता होती है। सूरजमुखी की फसलें खरीफ रबी जायद तीनों मौसमों में इसकी खेती की जाती है। सूरजमुखी की खेती के लिए शुष्क जलवायु की बहुत ही आवश्यकता होती है। सूरजमुखी की खेती आप किसी भी भूमि में कर सकते हैं। सूरजमुखी की खेती के लिए अम्लीय एवम क्षारीय भूमि उचित नहीं होती खेती के लिए। वैसे तो आप किसी भी मिट्टी में सूरजमुखी की खेती कर सकते हैं। लेकिन सूरजमुखी की खेती के लिए सबसे उचित दोमट मिट्टी होती है।
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सूरजमुखी की फसल के लिए खेत को किस प्रकार तैयार करते हैं:
सूरजमुखी की फसल के लिए उन्नत कृषि विधियाँ : सूरजमुखी की फसल को तैयार करने के लिए किसान निम्न प्रकार से खेत को तैयार करते हैं जैसे: किसान सूरजमुखी की खेती जायद मौसम में करते हैं जिससे उनको नमी वाली भूमि की प्राप्ति हो सके। किसान भूमि की ऊपरी परत को चीरकर जुताई करने तथा बीज बोने की प्रक्रिया को शुरू करते है। खेत की पहली जुताई किसान हल द्वारा करते हैं। तीन से चार दिन बाद खेत की जुताई कल्टीवेटर से करना जरूरी होता है। मिट्टी का भुरभुरा पन समय-समय पर देखते रहना चाहिए ताकि उस में नमी बरकरार रहे।सूरजमुखी की बुवाई:
सूरजमुखी की अच्छी फसल को प्राप्त करने के लिए आपको कुछ इस तरह से बुवाई करनी चाहिए:
सर्वप्रथम आपको सबसे पहले बीज को रात में भिगोकर रखना होगा। भिगोने के बाद आपको करीबन 3 से 4 घंटा बीज को छांव में रखना होगा। शाम होने पर आपको सुखाई हुई बीज को बोना शुरू कर देना चाहिए। सूरजमुखी की फसल के लिए बीज की अलग-अलग मात्रा की आवश्यकता पड़ती है। इसमें आपको संकुल या सामान्य बीजों की आवश्यकता पड़ती है।फसल की बुवाई के लिए आपको करीबन 12 से 15 किलोग्राम प्रति हैक्टर बीज लेना चाहिए। यदि आपको यह आभास हो जाए। कि बीज में जमाव की गुणवत्ता नहीं है तो आपको ज्यादा से ज्यादा बुवाई के लिए बीज लेनी चाहिए। सूरजमुखी की बुवाई के लिए लगभग 2 से 2.5 ग्राम थीरम प्रतिकिलो ग्राम बीज को शोधित कर लेना चाहिए।
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सूरजमुखी फसल की सिंचाई का समय:
फसल की अच्छी प्राप्ति के लिए सिंचाई का समय समय पर ध्यान रखना बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। किसान सूरजमुखी फसल की पहली सिंचाई बुवाई करने के बाद 20 से 25 दिन के उपरांत करते हैं।किसान यह सिंचाई छिड़काव के रूप में भी करते हैं।10 से 15 दिन के बीच इसकी दोबार सिंचाई करनी होती है। सूरजमुखी फसल की सिंचाई करीबन 5 से 6 बार करनी होती है।जब खेतों में सूरजमुखी के फूल निकल आए तो हल्की सिंचाई करने चाहिए। ताकि पौधे जमीन में ना गिर सके। यदि आप भारी सिंचाई करेंगे तो पानी के प्रभाव से पौधे गिरने लगेंगे।सूरजमुखी की फसल के लिए मिट्टी की मात्रा :
सूरजमुखी की फसल के लिए लगभग 10 से 15 सेंटीमीटर मिट्टी की आवश्यकता पड़ती है। नत्रजन की टापड्रेसिंग करने के बाद पौधों पर यह मिट्टी चढ़ाई जाती है।किसान हमेशा इस चिंता में रहते हैं। कि सूरजमुखी का पौधा ना गिर जाए, क्योंकि यह आकार में बहुत बड़ा होता है।जिसकी वजह से किसान को इनके गिरने का भय लगा रहता है।मिट्टी चढ़ाने से इनका संतुलन बराबर बना रहता है।सूरजमुखी फसल की सुरक्षा:
फसल को कीटनाशक कीटों से सुरक्षा प्रदान करने तथा दीमक से बचाने के लिए कई तरह के रसायनों का प्रयोग किसान फसल की सुरक्षा के लिए करते हैं। किसान फसलों की सुरक्षा के लिए मिथाइल ओडिमेंटान में लगभग 1 लीटर तथा 25ई सी साथ ही साथ फेन्बलारेट 750 मिली लीटर प्रति हैक्टर के साथ लगभग 800 से 100 लीटर पानी में मिक्स कर फसलों पर छिड़काव करते हैं। इस प्रक्रिया द्वारा सूरजमुखी फसलों की सुरक्षा कीटों से होती है। इस पोस्ट में हमने सूरजमुखी फसल से जुड़ी विभिन्न प्रकार की महत्वपूर्ण जानकारियां आपको दी है। जैसे मई के महीने में किस प्रकार सूरजमुखी फसल की कटाई कैसे करें, जलवायु और भूमि की उपयोगिता, बुवाई तथा सिंचाई आदि की पूर्ण जानकारी, हमारी इस पोस्ट में मौजूद है। यदि आप हमारी दी हुई जानकारी से पूर्ण रूप से संतुष्ट हैं। तो कृपया आप ज्यादा से ज्यादा हमारी इस पोस्ट को अपने दोस्तों और सोशल मीडिया पर शेयर करें।